纵把书看未省勤,一生生计只长贫。可能在世无成事,
不觉离家作老人。中岳深林秋独往,南原多草夜无邻。
经年抱疾谁来问,野鸟相过啄木频。
题目 | 作者 | 卷,号 |
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咏怀 | 王绩 | 037 , 041 |
咏怀 | 骆宾王 | 079 , 033 |
咏怀 | 张籍 | 384 , 083 |
咏怀 | 白居易 | 430 , 015 |
咏怀 | 白居易 | 430 , 050 |
咏怀 | 白居易 | 431 , 025 |
咏怀 | 白居易 | 437 , 023 |
咏怀 | 白居易 | 439 , 062 |
咏怀 | 白居易 | 447 , 064 |
咏怀 | 白居易 | 452 , 031 |
咏怀 | 白居易 | 452 , 040 |
咏怀 | 白居易 | 455 , 072 |
咏怀 | 郑谷 | 675 , 012 |
咏怀 | 徐夤 | 708 , 036 |